इंटरनेट सुरक्षा का अर्थ है – नेटवर्क तथा नेटवर्क पर उपलब्ध सूचना, डाटा या सॉफ्टवेयर को अनधिकृत व्यक्तियों (Unauthorized persons) की पहुंच से दूर रखना तथा केवल विश्वसनीय उपयोगकर्ताओं द्वारा ही इनका उपयोग सुनिश्चित करना।
इंटरनेट सुरक्षा के मुख्यत: तीन आधार हैं –
· प्रमाणीकरण
· पहुँच नियंत्रण
· क्रिप्टोग्राफी
उपयोगकर्ता के प्रामाणिकता की जांच करना
प्रमाणीकरण
उपयोगकर्ता के प्रामाणिकता की जांच Login ID, Password गुप्त कोड आदि द्वारा की जाती हैं।
पहुँच नियंत्रण
कुछ विशेष डाटा या सूचना की उपलब्धता, कुछ विशेष उपयोगकर्ताओं के लिए ही सुनिश्चित करना एक्सेस कंट्रोल कहलाता हैं। अंगुलियों के निशान (Finger Print) आवाज की पहचान (Voice Recognition) इलेक्ट्रानिक कार्ड आदि द्वारा ऐसा किया जाता हैं।
क्रिप्टोग्राफी
सूचना या डाटा को इंटरनेट पर भेजने से पहले उसे गुप्त कोड में परिवर्तित करना तथा प्राप्तकर्ता द्वारा उसे प्रयोग से पूर्व पुन: सामान्य सूचना में परिवर्तित करना क्रिप्टोग्राफी कहलाता हैं। यह इंटरनेट पर डाटा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण आधार है। सूचना या डाटा को गुप्त संदेशों में बदलने की प्रक्रिया Encryption कहलाती हैं। जबकि इनक्रिप्ट किए गए डाटा या सूचना को पुन: सामान्य सूचना में बदलना Decryption कहलाता हैं। क्रिप्टोग्राफी से डाटा स्थानान्तरण के दौरान डाटा चोरी होने या लीक होने की संभावना नहीं रहती है।
इंटरनेट सुरक्षा में शामिल होता हैं –
- सूचना, डाटा तथा संसाधनों का उपयोग केवल अधिकृत व्यक्तियों द्वारा किया जाना।
- डाटा तथा संसाधन अधिकृत व्यक्तियों के लिए हमेशा उपलब्ध होना।
- नेटवर्क पर भेजे गए डाटा के Destination तक पहुंचने से पहले उसे रिकॉर्ड करने तथा छेड़छाड़ या परिवर्तन करने की संभावना न होना।
यूजर आइडेंटीफिकेशन
कम्प्यूटर तथा नेटवर्क पर अधिकृत उपयोगकर्ता की पहचान करना User Identification कहलाता हैं जबकि इस पहचान को सत्यापित करने की प्रक्रिया ऑथेनटिकेशन (Authentication) कहलाती हैं।
यूजर नेम तथा पासवर्ड
उपयोगकर्ता की पहचान स्थापित करने (Identification) तथा उसे सत्यापित करने (Authentication) की सर्वाधिक प्रचलित विधि यूजर नेम तथा पासवर्ड की हैं। इसके द्वारा केवल अधिकृत उपयोगकर्ता को ही कम्प्यूटर डाटा तथा नेटवर्क का उपयोग करने दिया जाता हैं।
यूजर नेम तथा पासवर्ड उपयोगकर्ता द्वारा कम्प्यूटर सिस्टम में स्टोर किया जाता हैं। अगली बार कम्प्यूटर या नेटवर्क का उपयोग करने के लिए कम्प्यूटर सिस्टम यूजर नेम तथा पासवर्ड डालने का request करता हैं। कम्प्यूटर पहले से स्टोर किए गए यूजर नेम तथा पासवर्ड से दी गई सूचना का मिलान करता हैं, तथा सही पाए जाने पर ही कम्प्यूटर तथा नेटवर्क के प्रयोग की इजाजत देता हैं।
पासवर्ड सुरक्षित रखने के उपाय
कम्प्यूटर सिस्टम तथा नेटवर्क में धोखे से या बार – बार प्रयास कर (Trial and error Method)
या सॉफ्टवेयर द्वारा पासवर्ड लीक होने की संभावना बनी रहती हैं। इससे बचने के लिए –
- पासवर्ड नियमित अंतराल पर बदलते रहना चाहिए।
- पासवर्ड बहुत छोटा नहीं होना चाहिए।
- पासवर्ड जितना बड़ा होगा, बार –
बार प्रयास कर उसे प्राप्त करना उतना ही कठिन होगा।
- पासवर्ड में अक्षरों (Letters), अंकों (Numbers) तथा विशेष चिन्हों (Special
Characters) का मिश्रण होना चाहिए।
- पासवर्ड में Capital Letters तथा Small Letters का मिश्रण भी प्रयोग किया जाना चाहिए।
बायोमैट्रिक तकनीक
मानवीय अंगों जैसे – अंगुली की छाप (Finger Prints) , आँख की पुतली (Retina and Irish) , चेहरे की आकृति (Facial Pattern) , आवाज (Voice) आदि का प्रयोग कर उपयोगकर्ता की पहचान स्थापित करने की तकनीक बायोमैट्रिक तकनीक कहलाती हैं। कम्प्यूटर में अधिकृत व्यक्तियों के नमूने पहले से स्टोर कर दिए जाते हैं।
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ReplyDeleteCould you name the encryption techniques and which encryption technique is best?
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